NCERT Solutions for Class-12 Hindi (Antral Bhag-2) Chapter-4 अपना मालवा-खाऊ उजाड़ू सभ्यता में


1. मालवा में जब सब जगह बरसात की झड़ी लगी रहती है तब मालवा के जनजीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है .? 
उत्तर - मालवा में जब सब जगह बरसाती की झड़ी लगी रहती है, तब मालवा के जनजीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। खूब बरसात होती है। मालवा में स्थित नदी-नाले पानी से भर जाते हैं। यहाँ तक की बरसात का पानी घरों में पहुँच जाता है। फसलें लहलहा उठती हैं। मालवा में व्याप्त बाबड़ी, तालाब, कुएँ तथा तलैया सब पानी से लबालब भर जाते हैं। इससे मालवा में लगता है कि भगवान की खूब कृपा हुई है। वहाँ की बरसात की झड़ी मालवा को समृद्धशाली बनाती है।


2. अब मालवा में वैसा पानी नहीं गिरता जैसा गिरा करता था।उसके क्या कारण है ?
त्तर - मालवा में अब अधिक बरसात न होने के कई कारण हैं-
(क) मालवा में बढ़ते उद्योगीकरण ने वहाँ के पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है। जिससेप्रावरण में भयंकर बदलाव देखने को मिले हैं। यह भी एक प्रमुख कारण है। 
(ख) हमारे वायुमंडल प्रदूषण के कारण कार्बन डाइऑक्साइड गैस की बढ़ोतरी हो रही है यह गर्म गैस होती है, जिसके कारण वायुमंडल और हमारे धरती की ओजोन परत को नुकसान पहुँच रहा है।
(ग) बढ़ती जनसंख्या के कारण कंक्रीट के निर्माण में अधिकता आई है हम लगातार जंगलों और पेड़ों की कटाई कर रहे हैं जिसके कारण मानसून में परिवर्तन हो रहा है यह भी एक प्रमुख कारण है बारिश में कमी आने का।


3. हमारे आज के इंजीनियर ऐसा क्यों समझते हैं कि वह पानी का प्रबंध जानते हैं और पहले जमाने के लोग कुछ नहीं जानते थे?
उत्तर - आज के इंजीनियर अपने तकनीक ज्ञान को बहुत उच्च मानते हैं। उनको लगता है कि पुराने ज़माने में लोगों को तकनीकी ज्ञान नहीं था। वे तकनीकी शिक्षा से अनजाने थे। ऐसा सोचकर वे स्वयं एक गलतफहमी में जीते हैं। वह मानते हैं कि पश्चिमी सभ्यता ने ज्ञान का प्रसार किया है। भारत के लोगों को ज्ञान था ही नहीं। रिनसां के बाद से ही लोगों के अंदर ज्ञान का फैलाव हुआ।

4. ‘मालवा में विक्रमादित्य,  भोज और मूंज रिनेसा के बहुत पहले हो गए।’ पानी के रखरखाव के लिए उन्होंने क्या प्रबंध किए ?
उत्तर - मालवा के राजा राजस्थान की प्राकृतिक समस्याओं और जरूरतों को बहुत करीब से जानते और समझते थे राजा विक्रमादित्य, भोज और मुंज आदि राजाओं ने वहाँ के पठारों की कमजोरियों और ताकतों को पहचानना और वहाँ जनता के हित में कई आश्चर्यजनक कार्य किए। वे मालवा के भौगोलिक स्थिती को समझा और जल संग्रह के लिए बेहतर इंतजाम किए। उसने तालाब, कुएँ और बावड़ियों का निर्माण किया। की वह बारिश के पानी को संग्रहित करके रख सकें। संग्रहित पानी को वह पूरे साल उपयोग में ला सकते है जिससे उन्हें पानी की कमी की समस्या का सामना नही करना पड़ेगा । इसका एक बड़ा उदाहरण हम मालवा को कह सकते है।

5.‘हमारी आजकी सभ्यता इन नदियों को अपने गंदे पानी के नाले बना रही है।’ क्यों और कैसे?
उत्तर - आज के समय में मनुष्य तेज़ी से प्रगति कर रहा है परन्तु इस प्रगति ने बहुत नुकसान भी किया है। प्रदूषण इस प्रगति का सबसे भयानक रूप है। प्रदूषण की मार से जल, थल और आकाश पूरी तरह से ग्रसित हैं। पानी जीवन प्रदान करता है परन्तु मनुष्य ने इस अमूल्य जल संसाधन को भी प्रदूषित कर दिया है। नदियाँ जो पानी का मुख्य स्रोत है, वे प्रदूषण की चपेट में आ गई हैं। इनमें शहरों का गंदा पानी बहा दिया जाता है साथ कारखानों का जहरीला पदार्थ भी इसमें डाल दिया जाता है। परिणाम इनका पानी पीने योग्य नहीं रहा है। नदियाँ सदियों से मनुष्य के लिए पानी की आपूर्ति करती आ रही हैं। लेकिन आज इनका पानी इतना जहरीला हो गया है कि इससे भयंकर बीमारी होने लगी हैं। यहां तक इसमें निवास करने वाले जीव-जन्तुओं का जीवन भी प्रदूषण के कारण विलुप्ति की कगार पर है। सरकार तथा कई सामाजिक संस्थाएँ समय-समय पर इसे बचाने के लिए प्रयास कर रही हैं। परन्तु उनके सभी प्रयास असफल रहे हैं। यदि ऐसा ही रहा तो यह गंदे नाले में बदल जाएँगी। यमुना नदी तो नाले में बदल ही चुकी है। हमें चाहिए कि इस ओर ध्यान दे और प्रदूषण से इनकी रक्षा करें।


6. लेखक को क्यों लगता है कि ‘हम जिसे विकास की उद्योग इक सभ्यता कहते हैं वह उजाड़ की  अपसभ्यता है?’ आप क्या मानते हैं?
उत्तर - इस कथन में लेखक के विचार बहुत हद तक सही है। हम देखते है की जहाँ एक नई तकनीक आती है वह अपने साथ कई ऐसी समस्यायें भी लाती है जो मानव जीवन के विकास से ज्यदा उसके विनाश में योगदान देती है । मनुष्य प्रकृति से सब कुछ लेना चाहता है परंतु उसे कुछ देना नहीं चाहता अपने विकास के साथ साथ मनुष्य प्रकृति का पूर्ण रूप से शोषण करना चाहता है। मनुष्य किक सबसे बड़ी समस्या यह है की वह केवल आज के बारे में स्वयं के बारे में सोचना चाहता है। वह कल की परवाह नहीं करते की अगर आज वह अपनी तकनीकी से अपना जीवन आसन बनाना चाहता है तो आगे चल कर वही तकनीक एक विनाशक के रूप में सामने आ सकती है। इसलिए मनुष्य को इसपर विचार करना चाहिए की जिसे हम विकास की उध्योग सभ्यता कहते है वह वास्तव में एक उजाड़ की अपसभ्यता है।


7. धरती का वातावरण करम क्यों हो रहा है? इसमें यूरोप और अमेरिका की क्या भूमिका है? टिप्पणी कीजिये।
उत्तर - मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ से आज पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा मंडरा रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस भयावह स्थिती से परेशान है। इसके कारण पृथ्वी का वातावरण तेजी से गर्म होता जा रहा है। मनुष्यों ने अपनी सुविधाओं के नाम पर जो कुछ भी किया है,वह उनके लिए खतरनाक साबित हो रहा है। वाहनों, हवाई जहाज, बिजली संयंत्रों, उधोगो आदि से अंधाधुन गैसीय उत्सर्जन के कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है और मिथेन, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण इन्हें गैसों का आवरण घनघोर होता जा रहा है। यह आवरण सूर्य की परावर्तित किरणों को रोक रहा है, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। बढ़ते तापमान की तुलना में ग्लैशियरों की बर्फ़ तेजी से पिघल रही है। जिसके कारण आने वाले समय में जल संकट उत्पन्न हो सकता है। वनों की कटाई की संख्या में बढ़ोतरी भी दूसरी सबसे बडा कारण है। वन प्राकृतिक रूप से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित करते हैं, लेकिन उनके प्राकृतिक  नियंत्रकोंको भी उनकी अंधाधुन कटाई से नष्ट किया जा रहा है। इन गैसों के उत्सर्जन में अमेरिका और यूरोपीय देशों की प्रमुख भूमिका है। इनमें से अधिकांश गैस वहाँ से निकल रही है। लेकिन वह इसे स्वीकार नहीं करते है।

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